मकर संक्रांति | मकर संक्रांति को खिचड़ी कहा जाता है।
मकर संक्रांति भारत के सबसे शुभ त्योहारों में से एक है। यह एक शुभ चरण की शुरुआत के
रूप में भी माना जाता है जो सर्दियों के मौसम के अंत और एक नए फसल के मौसम की
शुरुआत का प्रतीक है। मकर संक्रांति उन कुछ भारतीय त्योहारों में से एक है, जो हर साल
14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को
मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति एक अवसर है जब हम परमपिता परमात्मा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं,
ताकि वर्षा की तरह सभी आवश्यक आपूर्ति के साथ हमें एक भरपूर फसल का उत्पादन
करने का आशीर्वाद मिले।
मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। हिन्दू पर्व में इसकी बहुत मान्यता है
जिससे अभी हिंदुस्तानी बहुत ही हर्सौलास से यह त्यौहार मनाते है.
गंगा स्नान कर के नए वस्त्र पहनते है भगवन की पूजा कर उनके आशीर्वाद के
साथ इस दिन को बहुत खाश बनाया जाता है।
मकर संक्रांति को सभी पतंग उडा कर इस त्यौहार का आनंद लेते है, और सभी इस दिन
गुड़ टिल से बनाई गयी लड्डू कहते है, तिल, गुड़पट्टी, दही चिवड़ा, दूध चिवड़ा,
गुड़ चिवड़ा खा कर त्यौहार मनाते है, और शाम को खिचड़ी बहुत ही भिन्न तरीके
से बनाई जाती है क्योकि यह खासतौर पर खिचड़ी के जाता है और खिचड़ी को
बहुत स्वादिष्ट बनाते है और सभी परिवार के साथ मिलकर कहते है और इस
त्यौहार को
अच्छा मनाते है,
मकर संक्रांति को भारत के लगभग सभी हिस्सों में अलग-अलग नामों, परंपराओं और
रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति को असम में ‘माघ बिहू’, गुजरात
में ‘उत्तरायण’, तमिलनाडु में ‘पोंगल’ और पंजाब में ‘माघी’ के नाम से भी जाना जाता
है।
मकर संक्रांति मकर (मकर) राशि में सूर्य के प्रवेश को दर्शाता है क्योंकि यह अपने आकाशीय
मार्ग पर यात्रा करता है और फसल के मौसम का जश्न मनाता है।
पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी (मकर संक्रांति 2021) को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता
है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं।
सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
आमतौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है, इसलिए यहां से शुभ कार्यों की
शुरुआत होती है।
इस दिन, भक्त गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी नदियों में पवित्र स्नान करते
हैं। उनका मानना है कि यह उनके पापों को मिटा देता है, इसे शांति और समृद्धि का समय
भी माना जाता है और इस दिन कई आध्यात्मिक अभ्यास किए जाते हैं।
मकर संक्रांति समारोहों के साथ, हर 12 साल में, कुंभ मेला भी लगता है, जो दुनिया के सबसे
बड़े सामूहिक विशेषाधिकारों में से एक है। इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू या चिक्की बांटी
जाती हैं। लोकप्रिय रूप से तिल-गुड़ के रूप में जाना जाता है। मिठाई यह दर्शाता है कि लोगों
को अपने मतभेदों के बावजूद शांति और सद्भाव में एक साथ रहना चाहिए।
हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि कोई मकर संक्रांति पर मर जाता है, तो उनका पुनर्जन्म नहीं होता
है, लेकिन सीधे स्वर्ग जाते हैं।
तिल-
मकर संक्रांति के तिल के दान का खास महत्व होता है. इस दिन ब्राह्माणों को तिल से बनी चीजों
का दान करना पुण्यकारी माना जाता है. इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य और
शनिदेव की भी तिल से पूजा की जाती है.
ऐसी मान्यता है कि शनि देवता ने अपने क्रोधित पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से ही की
थी जिससे सूर्य देव प्रसन्न हो गए थे. मकर संक्रांति तिल का दान करके शनि दोष को भी दूर
किया जा सकता है.
खिचड़ी
मकर संक्रांति को खिचड़ी (खिचड़ी 2021) भी कहा जाता है। इस दिन खिचड़ी का दान
करना बहुत शुभ होता है। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को इस दिन चावल और उड़द की
दाल की बनी खिचड़ी दान करें।
मान्यता है कि उड़द का का दान करने से शनि दोष दूर होते हैं। वहीं चावल का दान
करना फलदायी माना जाता है।
वस्त्र
मकर संक्रांति के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को नए वस्त्र का दान जरूर करना चाहिए.
ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है. इस दिन किया गया वस्त्रों का दान महादान कहा
जाता है.
गुड़
गुड़ को गुरु का प्रिय वस्तु माना जाता है. इस बार मकर संक्रांति का पर्व गुरुवार के दिन है.
इसलिए इस दिन गुड़ का दान करने से गुरु की कृपा प्राप्त होगी. आप तिल और गुड़ के बने
लड्डू भी दान कर सकते हैं. इस दिन गुड़ खाना भी शुभ माना जाता है.