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महाशिवरात्रि पर 7 उपाय ही करना होगा, भगवान शिव खुश हो जाएंगे।

!महाशिवरात्रि एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है ! जो भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन के अद्वितीय महत्व को समझने के लिए हमें शिवरात्रि के जलाभिषेक का महत्व भी समझना आवश्यक है !  जलाभिषेक एक प्राचीन परंपरा है  ! जो भगवान शिव के आदर्श को प्रकट करती है और भक्तों को उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का अभिव्यक्ति करने का एक तरीका है !

शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त और उसकी विधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पहले, हमें शिवरात्रि का महत्व समझने की आवश्यकता है !  महाशिवरात्रि, हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है !  इस दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन किया था  ! और अमृत को प्राप्त किया था। इसी कारण से इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है  !

MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या ना करें? | Maha Shivratri 2023 Dos and donts What to do and what to avoid on shivratri, kya kare aue kya na kare
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जलाभिषेक का महत्व:

जलाभिषेक एक प्राचीन रीति है जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धालुओं के द्वारा उनकी पूजा के लिए की जाती है !  इसका महत्व उस अद्वितीय शक्ति और अनुभव के साथ जुड़ा है !  जो शिव के ध्यान, ध्यान और भक्ति में लगते हैं !  जल का अभिषेक शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है और इसका अभिषेक करना शिव की कृपा का वास्तविक अनुभव करने का एक तरीका है !

शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त:

शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त निर्धारित करने के लिए पंडितों और वैदिक ज्योतिषियों के आदर्श अनुसार !  अनेक परंपराओं और सम्प्रदायों में अलग-अलग मान्यताएं हैं! लेकिन सामान्यत: शिवरात्रि के रात्रि के समय में जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है ! इस रात्रि में भक्त शिवलिंग पर पानी, दूध, धनिया पानी, गंगाजल, शहद आदि से अभिषेक करते हैं !

महाशिवरात्रि  जलाभिषेक की विधि:

जलाभिषेक की विधि विभिन्न संप्रदायों और क्षेत्रों में भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्य रूप से यह एक संगीत और उत्सव भरी प्रक्रिया होती है ! यहां एक सामान्य जलाभिषेक की विधि दी जा रही है:

  1. प्रथमतः, भक्त शिव मंदिर या शिवालय में जाते हैं  !
  2. उन्हें शिवलिंग के सामने बैठना चाहिए।
  3. फिर उन्हें शिवलिंग पर गंगाजल या पानी का अभिषेक करना चाहिए  !
  4. इसके बाद, धनिया पानी, दूध, शहद, गुड़ आदि से भी शिवलिंग का अभिषेक किया जा सकता है।
  5. अंत में, भक्त अर्चना और भजन के माध्यम से भगवान शिव की पूजा करते हैं।

जलाभिषेक का महत्व उसके पावनता और शक्ति में है। यह शिव की कृपा का प्रतीक है और भक्तों को उनकी प्रसन्नता का अनुभव कराता है। इसके अलावा, जलाभिषेक शिव के गुणों और उनकी महिमा को समझने और स्वीकार करने में भी मदद करता है।

समाप्ति:

इस प्रकार, शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है  ! यह एक आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्तों को शिव के साथ एकाग्रता और भक्ति में जोड़ता है  ! जलाभिषेक की विधि और शुभ मुहूर्त का पालन करके भक्त शिव के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं  ! इस पवित्र दिन पर, भक्त शिव की आराधना करते हुए अपने जीवन को ध्यान, त्याग, और समर्पण के साथ शिव के मार्ग पर चलने का संकल्प करते हैं !

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