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आखिर तुम दिन भर करती क्या हो

Nandini

मुझे आज से सूंदर वो कभी न लगी, उसकी कुछ भरी काया जो पहले मुझे स्थूल नज़र आती थी आज बेहद सुडोल दिखाई दे रही है।
बालों का वह बेतरतीब जुड़ा जिसकी उलझी लेट अक्सर उस के गालों पर ढुलक कर मेरे झिल्लाने की वजह बनती थी आज उन्हें हौले से सुलझाने को जी चाह रहा था।


उसका वह सदा लिबास जिसको में फूहड़, गंवार समझता था। आज सलीकेदार लग रहा था।
में अचंभित था अपनी ही सोच पर क्योंकि मेरे दो बच्चों की माँ, मेरी पत्नी आज मुझे बेहद्द हसीं लग रही थी भले ही आप को यह अतिश्योक्ति लगे पर मुझे कहने से गुरेज नहीं की वह मुझे किसी कवी की कल्पना की खुबशुरत नायिका सी आकर्षक प्रतीत हो रही थी

जिसका रूपसौंदर्या बड़े अड़े ऋषिमुनियों की तपस्या भांग करने की ताकत रखता था।
आज उससे प्रेम करने की अभिलाषा को मेरे अंतरमन ने हुलसा दिया।

समय का बदलाव (12 वर्ष पूर्व)

ऐसा नहीं था की पत्नी के प्रति विचारों ने पहली बार मेरे दिल पर दस्तक दी थी। 12 वर्ष पूर्व छरहरी सूंदर देह यष्टि वाली नंदनी मेरी जीवनसंगिनी बनी थी तो में अपनी किस्मत पर फुला न समाया था। मेने जब अपनी पत्नी को पहली बार देखा था तो मुझसे रुका न गया मेने खुद शादी का हाँथ भिजवाया था।

ज़िन्दगी की गाडी बड़ी खुशियों से चल रही थी की दोनों बच्चो के जनम के बाद जैसे की उसकी प्राथमिकताएं बदलने लगी। मेरे बजाये अब वो बच्चो पर ध्यान देने लगी, अपनी और से बेपरवाह हो कर अक्सर वो अपने कामो में लगी रहती। धीरे धीरे उसके शरीर में आते प्रवर्तन ने भी मेरे विरक्ति को बढ़ा दिया।

बढती बेरुखी

मेरे सारे कार्य अभी भी वह सुचारु रूप से किया करती। लेकिन मुझे अब उसमे वह कशिश दिखाई नहीं देती और में चिढ़चिढ़ा रहता। घरगृहस्ती के कामकाज से जब फुर्सत हो कर साथ में सोती तोमस्की कपड़ों से तेल मसलो की दुर्गन्ध मुझे बेचैन कर देती और में झुँझला उठता।

अब में उससे अपने साथ कहीं बाहर घूमने या पार्टी में नहीं ले जाता था क्योंकि अब वो मुझे मेरे बाकी दोस्तों की पत्नियों के आगे गवाँर नज़र आती। वही उनकी पत्निया स्लिम ट्रिम, उनकी ड्रेसिंग सेन्स बहुत ही अच्छी वही दूसरी और मेरी पत्नी का पह्नव मुझे नहीं पसंद आता था।


ऐसा नहीं है की उसने खुद को बदलने की, कोशिश नहीं की


जब भी उसने कुछ नया किया या सजी तो मुझे वह और गवाँर नज़र आती और में झुंझला जाता। वह दुखी हो कर उसने खुद को अपने बच्चों और घर की जिम्मेदारियों में खुद को समेत लिया। और में अपनी किस्मत को कोसने लगा।

इसी बीच आया कोरोना

कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था चरमरा उठी। सर्कार ने सभी के सुरक्षा हेतु देश भर में Lockdown लगा दिया जिसे मेने बड़ी दुखी मैं से अपनी बदकिस्मती को मानते हुए स्वीकार किया की मुझे 24 घंटे फुहार पत्नी के साथ गुज़ारना होगा।


इसी बीच मेरी तबियत बिगड़ गयी बुखार होता क्रोसिन खाने से बुखार उतर तो जाता लेकिन फिर दोबारा हो जाता मेरी तबियत देख मेरी पत्नी मेरे सिरहाने आकर कर बैठी और मेरे सर को दबाया उसकी छुअन जैसे मेरे सर को कोई जादू ने ठीक कर दिया हो उसकी छुअन से मुझे आराम मिला और में गहरी नींद में सो गया।

मेरा अधिकतर समय बच्चो के साथ समय बिताना और, टीवी देख कर और दोस्तों से मोबाइल पर बात करके बीतता था और मुझे शाम का समय अपनी माँ के साथ बिताना अच्छा लगता।

आश्चर्य की बात ये है की

एक शाम को मेरे दोस्तों का कॉल आया और उन्होंने बताया की वह अपनी अपनी पत्नियों से कितना परेशान है वो Lockdown ख़त्म होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे उनका कहना था की उनकी पत्निया घर का zyadatar काम उनके ऊपर सौप कर खुद टीवी और मोबाइल चलती है उन्हें खाना भी समय पर नहीं मिलता।


उनकी ये बातें सुन्न मेरी नज़र मेरी पत्नी पर पड़ी जो को आँगन में मेरे बच्चो और मेरी माँ के साथ बैठ कर समय व्यतीत करती है उनके साथ खेलती ह उनके चेहरे पर हमेशा मुश्कान लेन की कोशिश करती है। वह मेरी बीमार माँ की तन्न मैं से सेवा करती बिना कोई शिकायत के उन्हें हमेशा खुश रखती।


मेरी माँ मेरी पत्नी को बहुत प्यार करती हमेशा उसके गुणोंकी तारीफ़ करती ,फिर मेरी नज़र मेरी पत्नी पर पड़ी जो की किचन में चाय सबकेलिए बना रही थी उसने पीला रंग का सूट सदा पहना हुआ था जिसमे वो बेहद्द खुबशुरत लग रही थी उसकी और मेरी नज़दीकिया बढ़ रही थी उसके प्रति मेरा प्यार फिर से उमड़ रहा था।

मुझे खुद पर शर्मिंदगी मेजसूस होती मेने कैसे उस के गुणों को न जाना जो मेरे परिवार की निश्छल मैं से सेवा करती रही बिना कोई शिकायत और में उस पर झुँझलाता उसके साथ अपनी हुई शादी को अपना बदकिस्मत समझता रहा

जिसको में कहता था की तुम आखिर करती क्या हो !! यह सुन उसकी आंखों में आंसू भर आये उसकी बात सोच कर में खुद को माफ़ नहीं कर पा रहा


लेकिन इस Lockdown के बीच उसकी तरफ बढ़ती नज़दीकियों ने मेरे अंदर बदलाव ला दिया अब उसको ही मेरी नज़रें हर्र जगह ढूंढती और जब वह दिखती तो दिल को ख़ुशी और एक सुकून मिलता ऐसा लगता जैसा की मेने फिर से उससे पा लिया।


मुझे अब उसका बेढंग सा रहना काम करना सब देखना अच्छा लगता मानो मुझे फिर से pyaar हो गया हो मुझे वो साड़ी खुशिया फिर से मिल गयी।

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